किसानों के साथ अन्याय: जेवर एयरपोर्ट और सेक्टर-8 भूमि अधिग्रहण में नीतिगत असमानता और संस्थागत मनमानी ✊🌾📢

 

प्रस्तावना 🌍✍️💬

जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना के विस्तार के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण द्वारा सेक्टर-8 के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ की गई है। किंतु इस पूरी प्रक्रिया में प्रशासनिक पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवहार का अभाव गंभीर चिंता का विषय बन गया है। भूमि अधिग्रहण के नाम पर जबरन रजिस्ट्री, अपर्याप्त मुआवज़ा, तथा किसानों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भयभीत करने के आरोप निरंतर उजागर हो रहे हैं।

प्राधिकरण की अधिग्रहण नीति पर प्रश्न ⚖️🧾🤔

रन्हेरा, दास्तमपुर, धंसिया एवं आसपास के ग्रामों के कृषक समुदायों ने आरोप लगाया है कि प्राधिकरण बिना सभी मांगों पर विचार किए अथवा संतोषजनक संवाद स्थापित किए अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है। ग्रामवासियों के अनुसार कुछ अधिकारी और बिचौलिये किसानों पर रजिस्ट्री के लिए दबाव डाल रहे हैं तथा उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो उनकी भूमि पर प्रशासनिक कब्जा कर लिया जाएगा, उन्हें कम मुआवज़ा मिलेगा या वादित भूखंड आवंटन से वंचित कर दिया जाएगा। यह स्थिति भय का वातावरण उत्पन्न कर रही है और प्रशासन पर से विश्वास घटा रही है।




मुआवज़े में असमानता और आर्थिक विषमता 💰📉⚠️

किसानों को दी जा रही मुआवज़ा राशि स्थानीय बाजार दर की तुलना में अत्यंत कम है, जबकि समीपवर्ती निजी संस्थानों को दी गई भूमि का मूल्य कई गुना अधिक निर्धारित किया गया है। यह स्पष्ट संकेत है कि नीति में भेदभाव और असमानता व्याप्त है। किसानों का तर्क है कि सरकार ‘विकास’ की बात तो करती है, परंतु उसी विकास की नींव रखने वाले किसानों की भूमि को अवमूल्यन के साथ अधिग्रहित किया जा रहा है। यह न केवल आर्थिक अन्याय है बल्कि ग्रामीण समाज की स्थिरता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

धमकियों और दमन की प्रवृत्ति 🚫⚡🗣️

अनेक किसानों ने यह आरोप लगाया है कि प्राधिकरण के अधिकारी संवाद के बजाय दबाव और धमकी का सहारा ले रहे हैं। विरोध करने वालों को कहा जाता है कि उन्हें मुआवज़ा तो मिलेगा, किंतु सेक्टर-8 में प्रस्तावित 7% भूखंड का लाभ नहीं दिया जाएगा। साथ ही यह भी कहा जाता है कि अब 70% सहमति की आवश्यकता नहीं है, जिससे किसानों के लोकतांत्रिक विरोध को निरर्थक ठहराया जा रहा है। इस प्रकार की कार्यप्रणाली किसानों के आत्मविश्वास को कमजोर करती है और संस्थागत जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठाती है।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और असुरक्षा 🧑‍🌾🏚️📉

भूमि अधिग्रहण के बाद किसानों की पारंपरिक आजीविका लगभग समाप्त हो जाती है। जिस भूमि से उनके परिवार की पीढ़ियाँ जुड़ी रही हैं, वही अब विकास परियोजनाओं के नाम पर छीनी जा रही है। युवाओं को रोजगार देने के वादे अब तक अधूरे हैं, जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी और असंतोष बढ़ा है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि मुआवज़ा दरों में संशोधन नहीं हुआ, तो वे व्यापक आंदोलन करेंगे। यह संघर्ष अब केवल भूमि का नहीं बल्कि सम्मान, आत्मनिर्भरता और सामाजिक पहचान का बन चुका है।

किसानों की मुख्य मांगें 📜🤝🌱

  1. सेक्टर-8 की भूमि का मुआवज़ा बाजार दर के अनुरूप दिया जाए।
    वर्तमान मुआवज़ा दर वास्तविक बाजार मूल्य से अत्यंत कम है। अतः आवश्यक है कि किसानों को उनकी भूमि का वास्तविक मूल्य दिया जाए ताकि वे अपनी आजीविका को पुनः स्थापित कर सकें।

  2. रजिस्ट्री से पूर्व कृषियोग्य भूमि का तकनीकी सर्वेक्षण किया जाए।
    ट्यूबवेल, बोरिंग, वृक्षों और अन्य संरचनाओं का विस्तृत मूल्यांकन कर उनका उचित मुआवज़ा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

  3. जबरन अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए।
    अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और स्वैच्छिक होनी चाहिए ताकि किसान भयमुक्त होकर निर्णय ले सकें।

  4. रजिस्ट्री के समय ही प्लॉट आवंटन के दस्तावेज़ सौंपे जाएं।
    रजिस्ट्री के बाद आवंटन की अनिश्चितता किसानों में असुरक्षा पैदा करती है। अतः भूखंड आवंटन पत्र और स्थान की जानकारी उसी समय दी जाए।

  5. पुनर्वास और रोजगार की गारंटी दी जाए।
    जिन परिवारों की भूमि ली जा रही है, उन्हें केवल आर्थिक मुआवज़ा नहीं बल्कि रोजगार और दीर्घकालिक पुनर्वास सहायता भी दी जानी चाहिए।

  6. स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के साथ रोजगार दिया जाए।
    एयरपोर्ट परियोजना और उससे संबंधित औद्योगिक इकाइयों में स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाएं।

  7. सभी प्रभावित ग्रामों — रन्हेरा, दास्तमपुर, और धंसिया — के किसानों की सामूहिक सुनवाई की जाए।
    ग्राम स्तर पर जन-सुनवाई और संवाद के माध्यम से पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया अपनाई जाए।

  8. रजिस्ट्री प्रक्रिया की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
    सभी चरणों की जानकारी सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाए ताकि किसी भी प्रकार की गोपनीय या दबावपूर्ण प्रक्रिया को रोका जा सके।

निष्कर्ष 🕊️📢🌾

एयरपोर्ट और सेक्टर-8 परियोजनाओं के अधीन चल रही अधिग्रहण नीति, जिसमें जबरदस्ती और अपर्याप्त मुआवज़े के आरोप हैं, न्यायसंगत विकास की अवधारणा के विपरीत है। वास्तविक विकास वही है जिसमें समानता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व शामिल हों। किसानों को उनके अधिकारों से वंचित करना सामाजिक असमानता को गहरा करता है। अब समय है कि सरकार और प्राधिकरण किसानों की भावनाओं और आर्थिक वास्तविकताओं को समझते हुए संवेदनशील नीतिगत निर्णय लें। पुनर्वास, रोजगार और सामाजिक स्थिरता पर आधारित दीर्घकालिक रणनीति ही वह मार्ग है जिससे विकास का अर्थ सच्चे अर्थों में न्यायपूर्ण और समावेशी बन सके।